top of page

         संगमनेर शहर के प्रवरा नदी किनारे अस्तान-ए-शाह शिबली शहीद रहे. के बाजू मे यतीमखाने कि बुनयाद सन १९१२ मे रखी गई. संगमनेर शहर के असर रुसुख रखनेवाले ह्जरात ने इस कारेखैर मे दारे दरमे सुखने हिस्सा लिया. अंजुमन-ए-इस्लाम यतीमखाने कि बुनयाद शेखलाल दाउद मास्टर ने रखी. उनका साथ जीन ह्जरात ने दिया उनके नाम इस तरह है, शेख राजमोहम्मद दाउद, चांद तय्यब बागवान, हसन अब्दुल चौधरी, हसन साहेबखान, हाजी अब्दुल करीम, शेख शफी अब्दुल गनी, सईद साहब अहमदनगर.

          और संगमनेर शहर के वह अहेबाब जो अंजुमन-ए-इस्लाम यतीमखाना और अंग्लो उर्दू हायस्कूल के आराकीन रहे. हाजी चांद अमीन तांबोळी, शेख नुरमोहम्मद शरफुद्दिन पहेलवान, सकीन भाई मन्सुरी, मस्तान सेठ (गुलाब पाणी बिडी वाले), हसन गफूर साहब, शेखलाल वागमारे, अय्युबखान सदरखान, रशिदखान हमीदखान (बाबुसेठ), हसन अब्दुल चौधरी, उमरभाई बुढनभाई बागवान, हैदरखान रशिदखान, उमर खुदाबक्ष, रोशनबेग राजबेग, हाजी एमजी पठाण साहब, वजीरबेग महेमुबबेग, अबुबकर महेबुबबेग, हाजी इमाम सेठ, दादामिया खलीफा, गुलाम हुसेन याकुब, इस्माईल वस्ताद, अहमदुल्लाह एहसानउल्लाह उर्फ जानीसेठ वाय.बी.पठाण सर, शेख गफूर मोहन, सय्यद समदानी, अमीरखान भाऊखान पठाण, जानमोहम्मद दाउद शेख, गुलाबखान न्हन्नेखान, पापामिया धोंदीमिया मास्टर, अब्दुल करीम बुऱहान हेडमास्टर, खानमोहम्मद जनाब, सय्यद अहमदसाहब, मुन्शी हसनबेग साहब, अब्दुल करीम अब्दुल कादर (गोल्डन), हाजी जुबेर अहमद उस्मान खान, अब्दुल रहेमान हाजी करीम भाई बेपारी, हाजी रज्जाकभाई फिटर, इसी तरह बांद्रा-मुंबई और दिगैर शहर के  जिम्मेदार के नाम इस तरह है. हाजी गुलाम जिलानी शमशूद्दीन (सदर), हाजी अरशुद्दीन पीरजादे, सय्यद इब्राहीम साहब, अब्दुल कादर बेल्हेवाले, हाजी हिसामुद्दिन जनाब, हाजी इस्माईल रहेमानजी, डॉक्टर अब्दुल रहेमान नातीक साहब, बद्रुद्दीन काजी उर्फ जानीवाकर, हाजी गुलाब सेठ (अल्कबीर), हाजी उस्मान शेख चांद पटेल, अब्बासभाई सौदागर, हाजी गफूर दादामिया, बशीर जनाब (संगमनेरवाले), जकरिया आघाडी साहब, हाजी मस्तान मिर्झा, मौलाना इफ्तेखार कासमी, (इमाम बांद्रा जामा मस्जिद), हाजी नसरुद्दिन सेठ कुरेशी, डॉक्टर रफिक जकरिया ( माजी मंत्री औरंगबाद ), मोईनुद्दीन हारिस (दैनिक अजमल-संपादक) निहाल अहमद साहब (माजी मंत्री मालेगाव), अब्दुल अजीज जमाल साहब, हाजी इस्माईल बुरान बांद्रावाले इन सभी ह्जरात ने जिसमे काफी तेह्दाद मे अल्लाह के रहेमत को पौहुच चुके है. अंजुमन-ए-इस्लाम यतीमखाना और अंग्लो उर्दू हायस्कूल के लिय मुखलीसना बडी बडी खिदमात अंजाम दिय.

            सन १९६२ मे मशहूर अदाकार जानीवाकर और उस वक्त के महाराष्ट्र के वजीर गयासुद्दीन काजी साहब को हाजी जिलानी सेठ और हाजी हसन चौधरी साहब ने संगमनेर बुलाकर सय्यद बाबा चौक मे जलसे आम का इनेकाद किया. हाजी हसन साहब चौधरी ने यतीम बच्चो पर दर्दभरी नजम लिखी. जो यतीम बच्चो ने जलसे मे पढी तो लोगो कि आखें अशकबार हो गई. उसके बाद अंग्लो उर्दू हायस्कूल का सालाना जलसा स्कूल के सामने मैदान मे हुआ. महाराष्ट्र के मंत्री डॉक्टर रफिक जकरिया महेमान खुसुसी थे. हाजी नसरुद्दिन सेठ  ने सदारत फरमाई और डॉक्टर अब्दुल रहेमान नातीक सर ने निजामत फरमाई. यह जलसा तरीखी जलसा था जिसमे हजारो अफराद शिरकत फरमाई. हेडमास्टर हमीद सर सलाना रिपोर्ट पेश की. यतीमखाना और अंग्लो उर्दू हायस्कूल के लिए मुंबई और बांद्रावालो कि बडी खिदमत है. जिसे इदारा कभी फरामोश नही कर सकता. सन १९६४ मे भारत के गृहमंत्री यशवंतराव चौव्हाण यतीमखाने मे तशरिफ लाय. मुख्यमंत्री वसंतराव नाईक ब्यारेस्टर नाथ पै., एस.एम. जोशी, विधान सभा के सभापती बाळासाहेब भारदे, अजमल के एडिटर मोईनुद्दिन हारिस, शालीमार थेटर के मालिक जकरिया आघाडी, माजी मंत्री नेहाल अहमद, माजी मंत्री सलीम जकरिया, हाजी मस्तान मिर्झा, हाजी अब्दुल अजीज हाजी जमाल concontractor ऐसी नामी गीरामी ह्स्तीया इदारेमे तशरीफ फरमाए. भूल चूकसे कूच नाम रहे गय होंगे तो माफी चाहते है, अगर आपके खयाल मे कूछ नाम हो तो जरूर याद दिलाय उन्हे भी शामिल किया जायेगा.

मै अकेला हि चला था जानीबे मंजिल मगर

लोग साथ आते गए कारवा बनता गया

अंजुमन-ए-इस्लाम यतीमखाना, संगमनेर स्थापना

bottom of page